रहिमन कठिन चितान तैं, चिन्ता को चित चेत।चिता दहति निर्जीव को, चिन्ता जीव समेत।।
चिन्ता चिता से भी भंयकर हैं। सो तू चेत जा। चिता तो मुर्दे को जलाती है, और चिन्ता जिन्दा को ही जलाती रहती हैं
Worry is more problematic than funeral pyre so be it known in your heart; the latter burns the dead body whereas the former does in the living body
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