Monday, May 31, 2010

जिहि अंचल दीपक दुर्यो

जिहि अंचल दीपक दुर्यो, हन्यो सो ताही गात।'रहिमन' असमय के परे, मित्र सत्रु ह्वै जात


Arun Singh साड़ी के जिस अंचल से दीपक को छिपाकर एक स्त्री पवन से उसकी रक्षा करती हैं, दीपक उसी अंचल को जला डालता हैं। बुरे दिन आते हैं, तो मित्र भी शत्रु हो जाता हैं।
04 February at 22:47 ·

Arvind Mishra A lamp burns the person who lights it;when bad times befall even a friend becomes enemy

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