Monday, May 31, 2010

`रहिमन' यह तन सूप हैं

`रहिमन' यह तन सूप हैं, लीजे जगत पछोर।हलुकन को उड़ि जान दे, गरुए राखि बटोर


यह शरीर मानो एक सूप हैं। इससे दुनिया को फटक लेना चाहिए जो सारहीन हो, उसे उड़ जाने दो, और जो भारी अर्थात् सारमय हो, उसे रख ले।

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