झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी,
कौन तार से बीनी चदरिया॥१॥
इडा पिङ्गला ताना भरनी,
सुखमन तार से बीनी चदरिया॥२॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै,
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया॥३॥
साँ को सियत मास दस लागे,
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया॥४॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढी,
ओढि कै मैली कीनी चदरिया॥५॥
दास कबीर जतन करि ओढी,
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया॥६॥
What is the warp and weft,what is the yarn you used for the weave?
Ida and pingala make up the warp and weft ,happy mind is the yarn I used;
Eight lotus chakras swing the spinning wheel, five elements and three characteristics mark the sheet;
it takes 10 months to sew,gradually is the cloth woven;
All men and masters wear such cloth , and dirty it by wearing;
Kabir wore it with right effort and left it as he had received it
The body and mind structure consists of five major elements(air, water, earth,fire,space) also called the panchbhut,this structure displays a mix of the three gunas at any point of time , which are satva, raj and tamas,the eight lotus chakras are those situated in the body up the spine where the kundali travels from one chakra to other in its progress towards the highest chakra as we meditate the mind.Ida and Pingala are the two main nadis or the invisible veins that carry the prana or the life force up and down the spine enlivening the body in the process.It takes 10 months to sew the body-mind structure to the soul in the womb.
Science has no tests to confirm the above details but it has no way to disprove them too.It appears on the other hand from many scientific observations that probably these facts may hold the truth but there is no sure proof so far.Perhaps there will never will be as science has its limitations in understanding things.
Having said that, the real test is if this structure of the body and mind with all its constituents affects a human being and does he in turn affect it too by engaging with it or is he able to delink from this structure and attain to the absolute.Does the Absolute Conciousness withdraw tortoiselike back into its real shell ?Do we keep the sheets clean or mess with them and get messed up in turn?
"Right Effort" is required which Kabir preaches here in the backdrop of the Hindu philosophical construct.Ashtanga Yoga and extreme devotion to God is that right effort if we may try to extrapolate further based on Kabir's thoughts seen from other verses.
09 March at 02:07 ·
sarvapashyami
Monday, May 31, 2010
होय बुराई तें बुरो,
होय बुराई तें बुरो, यह कीनों करतार ।खाड़ खनैगो और को, ताको कूप तयार ॥
जाको जहाँ स्वारथ सधै, सोई ताहि सुहात ।चोर न प्यारी चाँदनी, जैसे कारी रात
कन –कन जोरै मन जुरै, काढ़ै निबरै सोय ।बूँद –बूँद ज्यों घट भरै, टपकत रीतै तोय
मूढ़ तहाँ ही मानिये, जहाँ न पंडित होय ।दीपक को रवि के उदै, बात न पूछै कोय
कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर । समय पाय तरुवर फरै, केतिक सींचौ नीर
जाको जहाँ स्वारथ सधै, सोई ताहि सुहात ।चोर न प्यारी चाँदनी, जैसे कारी रात
कन –कन जोरै मन जुरै, काढ़ै निबरै सोय ।बूँद –बूँद ज्यों घट भरै, टपकत रीतै तोय
मूढ़ तहाँ ही मानिये, जहाँ न पंडित होय ।दीपक को रवि के उदै, बात न पूछै कोय
कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर । समय पाय तरुवर फरै, केतिक सींचौ नीर
अति हठ मत कर हठ बढ़े
अति हठ मत कर हठ बढ़े, बात न करिहै कोय ।ज्यौं –ज्यौं भीजै कामरी, त्यौं-त्यौं भारी होय ॥
Dont be too stubborn or people will stop talking to you. The blanket keeps getting heavier as it gets more and more wet.
Dont be too stubborn or people will stop talking to you. The blanket keeps getting heavier as it gets more and more wet.
सबै सहायक सबल के
सबै सहायक सबल के, कोउ न निबल सहाय ।पवन जगावत आग को, दीपहिं देत बुझाय
सब लोग केवल सबल की ही सहायता करना चाहते हैं, निर्बल की नहीं, जैसे हवा भी आग को बढ़ा देती है परन्तु दीये को बुझा देती है
सब लोग केवल सबल की ही सहायता करना चाहते हैं, निर्बल की नहीं, जैसे हवा भी आग को बढ़ा देती है परन्तु दीये को बुझा देती है
मधुर वचन ते जात मिट
मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान ।तनिक सीत जल सों मिटै, जैसे दूध उफान
Anagha Patwardhan Kolhe जिस तरह थोडा सा ठंडा पानी डाल देने से दूध का उफान शांत हो जाता है, उसी तरह मीठे बोल से बड़े बड़े लोगों का गुस्सा भी शांत हो जाता
Anagha Patwardhan Kolhe जिस तरह थोडा सा ठंडा पानी डाल देने से दूध का उफान शांत हो जाता है, उसी तरह मीठे बोल से बड़े बड़े लोगों का गुस्सा भी शांत हो जाता
विद्या धन उद्यम बिना
विद्या धन उद्यम बिना, कहो जू पावै कौन ।बिना डुलाये ना मिलै, ज्यौं पंखा की पौन
Anagha Patwardhan Kolhe जिस तरह बिना पंखा हिलाए हवा नहीं आती है, उसी तरह बिना मेहनत किये विद्या का धन नहीं मिलता
Anagha Patwardhan Kolhe जिस तरह बिना पंखा हिलाए हवा नहीं आती है, उसी तरह बिना मेहनत किये विद्या का धन नहीं मिलता
कैसे निबहै निबल जन
कैसे निबहै निबल जन, करि सबलन सों गैर ।जैसे बस सागर विषै, करत मगर सों बैर
शक्तिशाली आदमी से दुश्मनी कर के निर्बल गुजारा कैसे कर पाएंगे, जैसे मगरमच्छ से दुश्मनी कर के कोई सागर में नहीं रह सकता
शक्तिशाली आदमी से दुश्मनी कर के निर्बल गुजारा कैसे कर पाएंगे, जैसे मगरमच्छ से दुश्मनी कर के कोई सागर में नहीं रह सकता
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