Wednesday, January 6, 2010

'रहिमन' पैड़ा प्रेम को

'रहिमन' पैड़ा प्रेम को, निपट सिलसिली गैल।बिलछत पांव पिपीलिको, लोग लदावत बैल


प्रेम की गली में कितनी ज्यादा फिसलन है! इस पर चींटी के भी पैर फिसल जाते हैं। और, हम लोगों को तो देखो, जो बैल लादकर चलने की सोचते है! (दुनिया भर का अहंकार सिर पर लाद कर कोई कैसे प्रेम के विकट मार्ग पर चल सकता है? वह तो फिसलेगा ही।

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