Wednesday, January 20, 2010

सात समंद की मसि करौं

सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ।धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ

समंदरों की स्याही बना लूं और सारे ही वृक्षों की लेखनी, और कागज का काम लूँ सारी धरती से, तब भी हरि के अनन्त गुणों को लिखा नहीं जा सकेगा

If the seven seas were my ink and the trees of the forest my pen, If the whole earth were my paper, still I could not write greatness of God!

1 comment:

Unknown said...

So humble and equally great and perfectly true...