Saturday, January 30, 2010

अनुचित बचन न मानिए

अनुचित बचन न मानिए, जदपि गुरायसु गाढ़ि।हैं `रहीम' रघुनाथ ते, सुजस भरत को बाढ़ि


बड़ो की भी ऐसी आज्ञा नहीं माननी चाहिए, जो अनुचित हो। पिता का वचन मानकर राम वन को चले गए। किन्तु भरत ने बड़ो की आज्ञा नहीं मानी, जबकी उनको राज करने को कहा गया था फिर भी राम के यश से भरत का यश महान् माना जाता हैं। (तुलसीदास जी ने बिल्कुल सही कहा हैं कि `जग जपु राम, राम जपु जेही' अर्थात् संसार जहां राम का नाम का जाप करता हैं, वहां राम भरत का नाम सदा जपते रहते हैं॥

Do not follow the improper dictates of the very elderly too; Rahim says that the glory of Bharat is more than that of Ram(Inspite of the fact that Ram obeyed his parents and Bharat disobeyed them because King Dasrath was not right in ordering Rama to leave for the forest and the elders were again not right in asking Bharat to ascend the throne which truly belonged to Rama, but Bharat becomes glorious by disobeying the wrong diktat and Ram loses glory by following the improper dictat)

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