Wednesday, January 20, 2010

'रहिमन' प्रीति सराहिये

'रहिमन' प्रीति सराहिये, मिले होत रंग दून।ज्यों जरदी हरदी तजै, तजै सफेदी चून

सराहना ऐसे ही प्रेम की की जाय जिसमें अन्तर न रह जाय। चूना और हल्दी मिलकर अपना-अपना रंग छोड़ देते है। (न दृष्टा रहता है और न दृश्य, दोनों एकाकार हो जाते हैं।)
08 January at 16:48 ·

Rahim says that love needs to be appreciated where one takes on the others color(and loses its own);just like lime loses the white and turmeric quickly loses the yellow

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